Click here for Myspace Layouts

जनवरी 23, 2013

ये भी न सही


न हुई ग़र मेरे मरने से तसल्ली, न सही 
इम्तिहाँ और भी बाकि हों, तो ये भी न सही,

खार-ए-आलम-ए-हसरत-ए-दीदार (काँटों भरे रास्ते पर दीदार की हसरत) तो है
शौक़ गुलचीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली (सब्र के गुलिस्ताँ के फूल) न सही,

मयपरस्तों ! (शराबियों) खुम-ए-मय (शराब का घूँट) मुँह से लगाये ही बनी 
एक दिन ग़र न हुआ बज़्म (महफ़िल) में साक़ी न सही 

नफ़स-ए-कैस (मजनूँ की साँस) की है चश्मा-ओ-चराग-ए-सहरा (रेगिस्तान का तालाब)
ग़र नहीं शमा-ए-सियाहखाना-ए-लैला (लैला के अँधेरे घर की शमा) न सही,

एक हंगामे पर मौक़ूफ़ (बंद) है घर की रौनक 
नौह-ए-गम (मातम) ही सही, नगमा-ए-शादी न सही,

न सिताइश (तारीफ) की तमन्ना, न सिले (इनाम) की परवाह
ग़र नहीं है मेरे अशआर (शेरों) में मानी (अर्थ) न सही

इशरत-ए-सोहबत-ए-खूबाँ (माशूक़ के साथ का ऐश्वर्य) ही गनीमत समझो
न हुई 'ग़ालिब', अगर उम्र-ए-तबीई (लम्बी उम्र) न सही     

9 टिप्‍पणियां:

  1. न सिताइश की तमन्ना, न सिले की परवाह
    गर नहीं है मेरे अशआर में मानी न सही

    बहुत सुंदर ! ग़ालिब के इस शेर से काफी राहत मिलती है..

    जवाब देंहटाएं
  2. मिर्ज़ा कि ग़ज़लों को सरल करके पेश करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया इमरान जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. ग़ालिब सा० की गजल साझा करने के लिए आभार,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामीजनवरी 25, 2013

    heads off to chacha.galib...

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामीजनवरी 27, 2013

    hii i am auther of blog http://differentstroks.blogspot.in/
    hereby nominate you to LIEBSTER BLOGERS AWARD.
    further details can be seen on blog posthttp://differentstroks.blogspot.in/2013/01/normal-0-false-false-false-en-us-x-none.html#links
    await your comment thanks

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति.....

    जवाब देंहटाएं
  7. आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं

  8. न सिताइश (तारीफ) की तमन्ना, न सिले (इनाम) की परवाह
    ग़र नहीं है मेरे अशआर (शेरों) में मानी (अर्थ) न सही
    वाह ... बहुत खूब
    आभार आपका इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिये

    जवाब देंहटाएं

जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...