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जून 11, 2012

असर


आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ के सर (सुलझने) होने तक,

दाम हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-नहंग (लहरों में मगरमच्छ)
देखे क्या गुजरती है कतरे पे गुहर (मुसीबत) होने तक,

आशिकी सब्र तलब (धैर्य) और तमन्ना बेताब‌
दिल का क्या रंग करूं खून‍-ए-जिगर होने तक,

हमने माना कि तगाफुल (उपेक्षा) ना करोगे लेकिन‌
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक,

परतवे-खुर (सूरज) से है शबनम को फ़ना की तालीम 
में भी हूँ एक इनायत की नज़र होने तक,

यक-नज़र बेश (एक नज़र काफी) नहीं, फुर्सते-हस्ती गाफिल 
गर्मी-ए-बज्म (,महफ़िल की गर्मी) है इक रक्स-ए-शरर (अंगारों का नाच) होने तक,

गम-ए-हस्ती (जिंदगी के गम) का "असद" कैसे हो जुज-मर्ग-(मौत के सिवा) इलाज
शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक,