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मई 25, 2012

कब वो सुनता है कहानी मेरी



कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी,

ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़ (तंज की चुभन) न पूछ
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी (खून के आँसू) मेरी,

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर आशुफ़्ता-बयानी (बकवास) मेरी,

हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल(ख्यालों में खोया)
भूल जाना है निशानी मेरी,

मुत्तक़ाबिल (डरपोक) है मुक़ाबिल (दुश्मन) मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी,

क़द्रे-संगे-सरे-रह (रास्ते का पत्थर) रखता हूँ
सख़्त-अर्ज़ाँ (मामूली) है गिरानी (शख्सियत) मेरी,

गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी (सड़क की आँधी) हूँ
सरसरे-शौक़ (जोश) है बानी (खूबी) मेरी,

दहन (मुँह) उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी हेच-मदानी (बेवकूफी) मेरी,

कर दिया ज़ओफ़ (बीमारी) ने आज़िज़ "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी (बुढ़ापे से भी बुरी) है जवानी मेरी,

मई 10, 2012

वो दिल नहीं रहा



अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ (प्यार के इज़हार) के क़ाबिल नहीं रहा 
जिस दिल पे नाज़ था मुझे, वो दिल नहीं रहा 

जाता हूँ दाग़-ए-हसरत-ए-हस्ती(जिंदगी के ज़ख्म) लिये हुए 
हूँ शमआ़-ए-कुश्ता(बुझी हुई शमा) दरख़ुर-ए-महफ़िल(महफिल के काबिल) नहीं रहा 

मरने की ऐ दिल और ही तदबीर कर कि मैं 
शायाने-दस्त-ओ-खंजर-ए-कातिल (कातिल का बाज़ू खंजर चलाने के काबिल) नहीं रहा

बर-रू-ए-शश जिहत (ज़मीं और आसमां) दर-ए-आईनाबाज़ (आस-पास) है 
यां इम्तियाज़-ए-नाकिस-ओ-क़ामिल (अधूरे और पूरे का भेद)  नहीं रहा

वा (खोल) कर दिये हैं शौक़ ने बन्द-ए-नक़ाब-ए-हुस्न (हुस्न से नकाब का खुलना) 
ग़ैर अज़ निगाह अब कोई हाइल (रूकावट) नहीं रहा 

गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हाए-रोज़गार (बेरोजगार) 
लेकिन तेरे ख़याल से ग़ाफ़िल (अनजान) नहीं रहा 

दिल से हवा-ए-किश्त-ए-वफ़ा (वफ़ा की आस) मिट गया कि वां (यूँ)
हासिल सिवाये हसरत-ए-हासिल (पाने की हसरत) नहीं रहा 

बेदाद-ए-इश्क़ (इश्क के ज़ुल्म) से नहीं डरता मगर 'असद' 
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा