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जुलाई 19, 2012

उम्मीद



कोई उम्मीद बर (पूरी) नहीं आती 
कोई सूरत नज़र नहीं आती, 

मौत का एक दिन मु'अय्यन (मुक़र्रर) है 
नींद क्यूँ फिर रात भर नहीं आती, 

आगे (पहले) आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी 
अब किसी बात पर नहीं आती,

जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद (इबादत की ताक़त)
पर तबीयत इधर नहीं आती,

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ 
वर्ना क्या बात कर नहीं आती, 

क्यूँ न चीख़ूँ कि याद करते हैं 
मेरी आवाज़ गर नहीं आती, 

दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता 
बू भी ए ! चारागर (हकीम) नहीं आती,

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी 
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती,

मरते हैं आरज़ू में मरने की 
मौत आती है पर नहीं आती,

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' 
शर्म तुमको मगर नहीं आती, 

18 टिप्‍पणियां:

  1. है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
    वर्ना क्या बात कर नहीं आती,

    क्यूँ न चीख़ूँ कि याद करते हैं
    मेरी आवाज़ गर नहीं आती,
    बहुत खूब ... लाजवाब प्रस्‍तुति ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामीजुलाई 19, 2012

    बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति ......

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामीजुलाई 19, 2012

    शुक्रिया आप सभी लोगों का ।

    जवाब देंहटाएं
  4. हम वहाँ हैं जहाँ से हमको भी
    कुछ हमारी भी खबर नहीं आती

    वाह वाह ! सचमुच ग़ालिब का जवाब नहीं..लाजवाब !

    जवाब देंहटाएं
  5. है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
    वर्ना क्या बात कर नहीं आती,

    बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    बहुत सुंदर गजल ,,,,,

    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

    जवाब देंहटाएं
  6. बेनामीजुलाई 20, 2012

    शुक्रिया अनीता जी, धीरेन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. हम वहां हैं जहां से हमको भी
    कुछ हमारी ख़बर नहीं आती।
    ये एक सूफ़ियाना ग़ज़ल है। आभार इस प्रस्तुति के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  8. galib ka koi jawab nahi...bahut sunder prastuti

    जवाब देंहटाएं
  9. कल 08/08/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    '' भूल-भुलैया देखी है ''

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बेनामीअगस्त 08, 2012

      हमारे ब्लॉग की पोस्ट यहाँ शामिल करने का शुक्रिया ।

      हटाएं
  10. खूबसूरत गज़ल .... आभार इसे पढ़वाने का

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी पसंदीदा गज़लों में से एक ...

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छी रचना सदा ही बहुत सुकून देती है मन को |आभार इस गजल को पढ़वाने के लिए |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  13. गालिब की एक बहुत ही खूबसूरत गजल...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  14. बेनामीअगस्त 08, 2012

    आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी प्रस्तुति! मेरे नए पोस्ट "छाते का सफरनामा" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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