कोई उम्मीद बर (पूरी) नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती,
मौत का एक दिन मु'अय्यन (मुक़र्रर) है
नींद क्यूँ फिर रात भर नहीं आती,
आगे (पहले) आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती,
जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद (इबादत की ताक़त)
पर तबीयत इधर नहीं आती,
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती,
क्यूँ न चीख़ूँ कि याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती,
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता
बू भी ए ! चारागर (हकीम) नहीं आती,
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती,
मरते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती,
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुमको मगर नहीं आती,
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
जवाब देंहटाएंवर्ना क्या बात कर नहीं आती,
क्यूँ न चीख़ूँ कि याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती,
बहुत खूब ... लाजवाब प्रस्तुति ... आभार
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया आप सभी लोगों का ।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar....
जवाब देंहटाएंहम वहाँ हैं जहाँ से हमको भी
जवाब देंहटाएंकुछ हमारी भी खबर नहीं आती
वाह वाह ! सचमुच ग़ालिब का जवाब नहीं..लाजवाब !
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
जवाब देंहटाएंवर्ना क्या बात कर नहीं आती,
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
बहुत सुंदर गजल ,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
शुक्रिया अनीता जी, धीरेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंहम वहां हैं जहां से हमको भी
जवाब देंहटाएंकुछ हमारी ख़बर नहीं आती।
ये एक सूफ़ियाना ग़ज़ल है। आभार इस प्रस्तुति के लिए।
galib ka koi jawab nahi...bahut sunder prastuti
जवाब देंहटाएंकल 08/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' भूल-भुलैया देखी है ''
हमारे ब्लॉग की पोस्ट यहाँ शामिल करने का शुक्रिया ।
हटाएंखूबसूरत गज़ल .... आभार इसे पढ़वाने का
जवाब देंहटाएंमेरी पसंदीदा गज़लों में से एक ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना सदा ही बहुत सुकून देती है मन को |आभार इस गजल को पढ़वाने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
गालिब की एक बहुत ही खूबसूरत गजल...
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति! मेरे नए पोस्ट "छाते का सफरनामा" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।
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