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अप्रैल 18, 2012

मेरे दर्द की दवा करे कोई


इब्ने-मरियम (ईसा मसीह) हुआ करे कोई 
मेरे दर्द की दवा करे कोई, 

शरअ-ओ-आईन (पाक दर)पर मदार (इन्साफ) सही 
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई,

चाल, जैसे कड़ी कमाँ का तीर 
दिल में ऐसे के जा (जगह) करे कोई,

बात पर वाँ ज़बान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई,

बक रहा हूँ जुनूँ में क्या-क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई,

न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई,

रोक लो, गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई,

कौन है जो नहीं है हाजतमंद (ज़रूरतमंद)
किसकी हाजत (ज़रूरत) रवा (पूरी) करे कोई 

क्या किया ख़िज्र** ने सिकंदर से 
अब किसे रहनुमा करे कोई, 

जब उम्मीद ही उठ गयी "ग़ालिब" 
क्यों किसी का गिला करे कोई,
---------------------------------------------
** ख़िज्र सिकंदर का नौकर था और उसने सिकंदर को धोखा दिया था |

10 टिप्‍पणियां:

  1. न सुनो गर बुरा कहे कोई
    न कहो गर बुरा करे कोई

    रोक लो गर गलत चले कोई
    बख्श दो गर ख़ता करे कोई...

    वाह! वाकई ग़ालिब का है अंदाज़े बयां और.. कितनी खूबसूरत नसीहतें भी दे डालीं.. इन पर अमल करें तो जिंदगी खूबसूरत हो जाए..

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामीअप्रैल 18, 2012

    शुक्रिया दीपिका जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. न सुनो गर बुरा कहे कोई
    न कहो गर बुरा करे कोई
    बहुत ही बढिया ... आपका प्रस्‍तुति के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. बेनामीअप्रैल 18, 2012

      शुक्रिया धीरेन्द्र जी।

      हटाएं
  5. ग़ालिब ने तो जैसे अपनी पूरी पोटली खोल दी है एक से एक रत्न हैं हैं उसमें..कोई एक भी चुन ले और धारण कर ले तो बात बन जाये...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बेनामीअप्रैल 19, 2012

      शुक्रिया अनीता जी ऐसे ही ग़ालिब को सदी का शायर नहीं कहा गया :-)

      हटाएं
  6. बेनामीअप्रैल 20, 2012

    शुक्रिया नीरज जी

    जवाब देंहटाएं

जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...