Click here for Myspace Layouts

जून 21, 2013

यूँ होता तो क्या होता

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता, 

हुआ जब गम से यूँ बेहिस, तो गम क्या सर के कटने का
न होता गर जुदा तन से, तो जानू (घुटने) पर धरा होता,

हुई मुद्दत के मर गया 'ग़ालिब' पर याद आता है 
वो हर एक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता,